अगर आप मुझसे पूछेंगे की " क्या की शांति का कोई तरीका है जो आसान भी हो?" तो मई कहूँगी हां! है| भोत आसान तरीका है जो हमारे अन्दर ही है और उसे जानना भी बहुत आसान है| लेकिन हम इस दुनिया में भटकते रह जाते है वजाए खुद के अन्दर ढूंढने के|
ये ही स्वाभाविक भी है, हम अज्ञानी प्राणी जी हैं | हां मै मानुष को पृथ्वी का ज्ञानी नहीं बल्कि अज्ञानी प्राणी मानती हूँ| और हां उनमे मै खुद की गिनती भी करती हूँ| हम अज्ञानी है क्युकी इश्वर ने हमे इस संसार में भेजने से पहले ही हमारे स्सुख सुविधा का बंदोबस्त कर दिया था और हम उनकी दि हुई हर चीज को ना पसंद कर अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए नए नए प्रयोग करने लगे|
वैसे अभी हमारी पारिस्थि उस जिद्दी बच्चे के जैसी हो गयी है जो माँ के हाथ की बने हुई स्वेटर त्याग देता है| वो स्वेटर सिर्फ इस लिए त्यागता है क्युकी वो उसे बहुत आसानी से मिल गयी| उसे कोई मेहनत करनी नहीं पड़ी| लेनी बाजार जा कर एक सुन्द्स्र स्वेटर खरीदने के बाद उसे महसूस हुआ की इतने पैसे खर्च करने के बाद भी स्वेटर में वो गर्मी नहीं है|तो मनुष्य अब कर भी क्या सकता है? पैसे तो लग गये हैं जो अब वापस नहीं हो सकते| और माँ के स्वेटर ठुकराने के बाद मिल नहीं सकते| वैसे असलियत तो ऐसी है की माँ से आप कभी भी कुछ भी मांगो वो आपको खुसी के लिए करती ही है |
ठीक वैसे ही इश्वर हैं और हमारे सुख सुविधा के लीए हर प्रयत्न कर रहे है| जरुरत है उन्हें समझने की वजाए उनको कोसने की| अभी भी अगर हम हर चीज जैसी है वैसी ही उसे मानले तो ये संसार बदल सकता है| और अंत में हम सबको मन की शांति मिल जाएगी|
क्या मन की शांति पाने का कोई आसान तरीका है ?
हाँ मन की शांति का आसान तरीका है और वो है हर उस चीज से दुरी बना लेना जो आपके मन को अशांत करती है| किसी परेशानी के बारे में सोचना आपके किसी भी मुस्किल को हल नहीं कर सकती| सोचना है तो उसके हल के बारे में सोचिये| अगर आपके ५००० रूपए चोरी होगये है तो आप को चोरी के बारे में नहीं पैसे वापस पानी के बारे में सोचना चाहिए |
ज्यादातर लोग माथे पे हात रख कर ये सोचने लग जाते है की अब क्या होगा| वो या तो भूतकाल या भविष्य में क्या होगा ये सोचने लगते हैं| अगर हुम तुरंत ये सोचे की हम क्या करे जो पैसे वापस ए तो हमे चिंता कम होगी और हमारा मन भी कम असंत होगा|
अगर पैसे वापस पाने का कोई भी रास्ता नहीं बचा है तो आप ये सोचे की मै कैसे उतने पैसे फिर से कम लूँ ताकि उस पैसे की कमी न हो|
मुझे एक बार एक इन्सान ने कहा की आप कहते हो की उस्चिज से दुरी बना ले जो आपके मनको अशांत करती है| मेरे घर में मेरी बच्ची बीमार रहती है और मै उससे बहुत प्यार करता हूँ| जभी उसे बीमार देखता हूँ तो मेरा मन अशांत हो जाता है तो क्या मै उसे देखना छोड़ दूँ| उसके बारे में सोचना छोड़ दू अपने स्वार्थ के लिए?
तो मैंने कहा - आप जिसे प्यार करते हैं उसे तकलीफ में देख कर दुखी होना स्वाभाविक है| और बहुत से लोग ऐसे हैं जिनकी पारिस्थि आपसे भी बुरी है और कुछ तो ऐसे है की कभी परेशानी से दूँ हो ही नहीं सकते|
तो सवाल उठता है की क्या करे और उन चीजो से कुश को अशन होने से कैसे रोकें ? आप को बीमार ब्यक्ति के बारे में सोचना बंद नहीं करना है और ना ही आप ऐसा कर सकते हैं|
आपको उसके पारिस्थि के बारे में बुरे ख्याल हो अपने मन में आने नहीं देना है| बुरे सोच को रोकना है|
फिर आपका सवाल होगा की पारिस्थि बुरी है तो अच्छा कैसे सोचे?
आप पहले ये सोचिये की क्या आपको अपनी बीमार बच्ची के बारे में सोच कर परेशानी होती है? नहीं आपको सिर्फ उसके बीमारी के परिणाम को सोच कर परेशानी होतो है|
आप को पता है बुखा हुआ है और ये बुखार से कोई नुकसान नहीं है 2-३ दिन में आप ठीक हो जायेंगे तो आप परेशां नहीं होते है| कुछ लोग तो बुखार में भी बहार घूम रहे होते है ये सोच कर की बहार की हवा लगेगी तो और जल्दी ठीक हो जाऊंगा|
उसी इन्सान को अगर ये पता चले की आपको गंभीर हृदय रोग है| चिकित्सक के ये कहने पर की आप बिलकुल ठीक हो जायेंगे अगर दवैया सही से ले तो, फिर भी आप बहुत चिंता में आजायेंगे| आपको पता है क्यों?
क्यों की बीमारी गंभीर है और आप ये सोच रहे है की कभी दवाई छुट गयी तो? अगर मई परहेज ना कर पाया तो? शायद मेरी मृत्यु हो जाएगी|
तो आपको ये मालूम हो गया होगा की हम बजाये समाधान के समस्या के बारे में जादा सोचते है| सोच का तरीका बदलिए आयर जब भी बहुत चिंता हो तो ये सोचिये की असल में जो सोच कर आप प्रेषण है, क्या आपको वो सोचना चाहिए?
कुछ नुस्खे -
जब मन बहुत असं होने लगे तो ये कुछ नुस्खे तत्काल रहत पहुचाएंगे|
- झुला झुलना - आप बगीचे में किसी जगह झुला लगा कर धीरे धीरे झूल सकते है| याद रहे बहुत तेज झूलने से आप और प्रेषण महसूस कर सकते है| कोशिस करे झुला शांत जगह पर हो| मै खुले असमान के निचे झुलना पसंद करती हु आप अपनी सुविधा से झुला लगायें |
- टहलना- जबभी मन अशांत लगे खली पैर घास पर चल कर देखे शनि मिलती है| आप रेत पर भी चल सकते हैं|
- पानी देखे- अगर आपके गर के पास नदी तलब या स्विमिंग पूल है तो वह किनारे पर घुमने जाये| पानी मन को सीतल करती है झरने को या नदी को बहते हुए देखना आपको बहुत जल्दी राहत देगा|
- आसमान को निअरे शाम या सुभ के वक़्त|
- कुछ मीठी और ठंडी चीज खाए- जैसे आइसक्रीम यार फ्रिज में रखी हु चॉकलेट या जो भी आपको पसंद हो|
आप एक आसान तरीका अपने कमरे में ही कर सकते है| किसी बड़े बर्तन में पानी लायें और अपने पैरों को डुबो कर कुछ देर बैठे| आप हाथ भी डूबा सकते है| पानी के साथ खेल सकते है अपने अंदर के बच्चे को निकले और मजे करे| यही आप रेत के साथ भी कर सकते है पैरो से हांथो से रेत को फेरे आपको अच्छा लगेगा|
और हाँ अपनी मंकी बात मुझे बताये कमेंट में| मई आपकी मदद जरुर करुँगी ये मेरा वादा है|
धन्यवाद् !
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Thanks for your response!
We will get back to you very soon